कहानी बाल वाटिका

लालच की सीमा

एक बार की बात है, कई भेड़ एक हरे भरे जंगल में चर रही थी। तभी वहाँ एक शिकारी आ गया और उन भेड़ों से कहने लगा कि वे सब उसके साथ चले। शिकारी ने कहा-तुम सब मेरे साथ चलो। मैं तुम सबको एक-एक स्वेटर दूंगा। सभी भेड़ें खुश हो गई और हर्षोल्लास के साथ बिना कुछ सोचे समझे लालच में आ गई और शिकारी के पीछे चलने लगी। तभी एक भेड़ बच्चे ने अपनी माँ से पूछा- “माँ शिकारी ऊन कहाँ से लाएँगे? यहीं सभी का लालच मिट गया क्योंकि उन्हें पता चल गया कि शिकारी ऊन तो उनसे ही लेगा। इस कहानी हम सीख मिलती है कि हमें अपने लालच को अपने विवेक पर हावी नहीं होने देना चाहिए तथा कोई भी निर्णय लेने से पहले ठीक से सोच-विचार कर लेना चाहिए।

नशे की लत

एक बार सुबह-सुबह हेमंत जी दौड़ते-दौड़ते दफ्तर जाने के लिए बस पकड़ते हैं। तभी उन्हें बस कंडक्टर कहता है- साहब आप ठीक तो है न?
हेमंत- क्यों भाई साहब? मुझे क्या होता।
बस कंडक्टर- कल रात आप नशे में थे न, इसलिए मैंने पूछा।
हेमंत- पर आपको कैसे पता?
बस कंडक्टर- कल रात आप नशे की हालत में बस में चढ़े। तभी एक महिला आई और आपने उसे सीट दे दी।
हेमन्त- हाँ तो इसमें बुराई क्या है? महिलाओं को तो अपनी सीट देनी चाहिए।
बस कंडक्टर- पर साहब, उस समय पूरी बस खाली पड़ी थी और फिर आपने बाकी का सफर खड़े होकर ही तय किया।
हेमंत जी कंडक्टर की यह बात सुनकर स्तब्ध रह गए। उन्हें अपनी नशे की लत पर बहुत अफसोस हुआ। फिर उन्होंने कभी नशा न करने का किया।
सात्विक सिंह
कक्षा -10
माॅर्डन दिल्ली पब्लिक स्कूल
फ़रीदाबाद

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