अश्रुतपूर्वा II
बर्फ से ढकी ऊंची चोटियां, हिमनदी, रेत के टीले, सूरज की रश्मियों से चमकती सुबह। साथ ही घने बादल। दुनिया की सबसे ऊंची जगह पर स्थित लद्दाख का यही परिदृश्य है। लद्दाख उत्तर की तरफ से काराकोरम और दक्षिण की तरफ से हिमालय से घिरा है। लगभग नौ हजार से 25170 फीट की ऊंचाई पर यह स्थल है। वहां जाने पर ऐसा महसूस होता है कि आप पूरी दुनिया की छत पर घूम रहे हैं। यहां की खूबसूरती हर पर्यटक के दिल में अमिट छाप छोड़ देती है। लद्दाख इतनी ऊंचाई पर है कि लगता है आप धरती और आकाश के बीच खड़े हैं।
लद्दाख का नीला पानी और घने बादल पर्यटकों पर जादू सा असर करते हैं। यहां सूरज जितना चमकदार होता है, हवाएं उतनी ही ठंडी हवाएं। यह क्षेत्र खुद में इस कदर प्राकृतिक सुंदरता सहेजे हुए है कि यहां आप यहां आकर पलकें नहीं झपका पाएंगे। प्राकृतिक दृश्यों को निहारते रह जाएंगे।
लद्दाख भारत का ऐसा सुरम्य क्षेत्र है जो आधुनिक वातावरण से बिल्कुल अलग है। वास्तविकता से जुड़ा मगर पुरानी परंपरा को समेटे हुए। यहां के जीवन पर अध्यात्म का गहरा असर है। जो पर्यटक यहां आते हैं उन्हें लद्दाख का जनजीवन, संस्कृति और लोग बेहद खास लगते हैं। महान बुद्ध की परंपरा को वहां के लोगों ने सहेज रखा है। यहां कई प्रकार के जीव-जंतु दिखाई देते हैं। इसी तरह विभिन्न प्रकार के पक्षियों और जंगली जानवर की भी अलग-आलग और दुर्लभ प्रजातियां दिखाई देती है।
लद्दाख विश्व की सबसे ऊंचाई पर बसा निवासस्थल है। यह अपने आप में इतना अद्भुत है कि हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित करता है। पहाड़ों के बीच बने यहां के गांव, आकाश छूतीं स्तूपें और खड़ी व पथरीली चट्टानों पर बने मठ देखने में ऐसे लगते हैं जैसे हवा में झूल रहे हों। इन मठों के अंदर बेशकीमती पुरातत्व और प्राचीन कलाएं दर्शनीय हैं।
लद्दाख का मुख्य शहर लेह है। यहां सत्रह शताब्दी में बना नौ मंजिला पैलेस जिसे लेह पैलेस कहते हैं, देखने लायक है। सन 1825 में बना स्टॉक पैलेस दरअसल संग्रहालय है, जिसमें बेशकीमती गहने, पारंपरिक गहने और आभूषण रखे हैं। इन्हें देख कर लेह के प्राचीन समय की याद आती है। यहां बुद्ध की भव्य प्रतिमा दर्शनीय है। यह सोने से बनी है। इस पर तांबे की परत भी चढ़ाई गई है। नामग्याल सेना गोम्पा में तीन मंजिला ऊंची बुद्ध की प्रतिमा, प्राचीन हस्तलिपि और भित्ति को देख सकते हैं।
दुनिया की सबसे ऊंची खारी झील लद्दाख में देखी जा सकती है। यह जगह खेल प्रेमियों के लिए बेहतरीन जगह है। आइस हॉकी का मजा दिसंबर से फरवरी तक लिया जा सकता है। धनुषबाजी और पोलो यहां के पारंपरिक खेल हैं। लद्दाख जाने का सबसे अच्छा समय है मईसे अक्तूबर। दिसंबर से फरवरी तक यहां कड़ाके की सर्दी पड़ती है।
लद्दाख भारत का ऐसा सुरम्य क्षेत्र है जो आधुनिक वातावरण से बिल्कुल अलग है। वास्तविकता से जुड़ा मगर पुरानी परंपरा को समेटे हुए। यहां के जीवन पर अध्यात्म का गहरा असर है। जो पर्यटक यहां आते हैं उन्हें लद्दाख का जनजीवन, संस्कृति और लोग बेहद खास लगते हैं।