भाऊराव महंत II
शिक्षक कक्षा में आ-आकर,
पाठ पढ़ाते रोज।
और बताते कठिन शब्द के,
सरल अर्थ को खोज।।
जिससे हमें समझ में आते,
उन पाठों के अर्थ।
तब हमको विद्यालय जाना,
लगता कभी न व्यर्थ।।
शिक्षक अगर नहीं होते तो,
किससे पाते ज्ञान?
तब हम सब बच्चों में होता,
भरा हुआ अज्ञान।।
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