नई आमद

जियो तो खुल कर जियो

फोटो- साभार गूगल

अश्रुत पूर्वा II

नई दिल्ली। महामारी कारोना ने जीवन के कई सबक दिए हैं। जो है बस यही एक पल है। इसको जी लीजिए। आज हम युवा हैं। कल क्या उतनी ऊर्जा रहेगी कामकाज करने की? उम्र बढ़ने के बाद हम परिवार को कितना संभाल पाएंगे। समाज को कितना योगदान दे पाएंगे। ऐसी सोच रखने वाले जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों के मशहूर लोगों की कहानियां पढ़नी हो और उनका अनुभव जानना हो तो ‘मंत्राज फॉर पॉजिटिव एजिंग आपको पढ़नी चाहिए। जो यह बताती है कि उम्र वस्तुत: एक संख्या भर है। अगर एक पत्थर तबीयत से आप उछालें तो आसमान में भी सुराख कर सकते हैं।

पुस्तक ‘मंत्राज फॉर पॉजिटिव एजिंग में कलाकारों, वकीलों, चिकित्सकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के रूप में सक्रिय रहे मशहूर लोगों की 50 कहानियां हैं। ये वो लोग हैं जो 75 साल से अधिक उम्र हो जाने के बाद भी समाज में अपना योगदान देते रहे हैं। इस किताब में इस मान्यता पर विचार किया गया है कि महामारी के बाद की दुनिया में इन लोगों के अनुभव की बहुत जरूरत है। एक सवाल भी कि जब आपकी उम्र बढ़ती जाएगी, तब क्या आप आशावादी, युवा और ऊर्जावान बने रहने में रुचि रखेंगे? इनमें अभिनेत्री सुषमा सेठ, नेता कर्ण सिंह, मार्गरेट अल्वा और मणिशंकर अय्यर, अर्थशास्त्री देवकी जैन, विख्यात वकील फली एस नरीमन और कार्यकर्ता सैयदा हमीद, सुभाषिनी अली, सुंदरलाल बहुगुणा, कमला भसीन और महात्मा गांधी की पोती तारा गांधी भट्टाचार्जी शामिल हैं।

यह किताब पिप्पा रन बुक्स एंड मीडिया ने छापी है। इसे गैर सरकारी संगठन गिल्ड आफ सर्विस की संस्थापक अध्यक्ष वी मोहिनी गिरि और कार्यकारी उपाध्यक्ष मीरा खन्ना ने संपादित किया है। जबकि बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा ने इसकी प्रस्तावना लिखी है। इसमें उन्होंने कहा है- पुस्तक में शामिल कई लेखक ऐसे दोस्त हैं जिन्हें मैं बरसों से जानता हूं। और हम एक साथ बड़े हुए हैं। बौद्ध धर्म गुरु ने कहा कि सभी के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि हम अपना जीवन सार्थक रूप से जिएं। दूसरों को नुकसान न पहुंचाएं।

सामाजिक कार्यकर्ता और लेखिका मोहिनी गिरि ने कहा, ‘सभी लेखक परिवर्तन की तलाश में रहे हैं और आज हम उनकी ताकतों का जश्न मनाते हैं। समाज के लिए खासा योगदान देने में उनकी ताकत और… उन्हें यह साबित करने में मदद की है कि उम्र केवल एक संख्या है। यह संकलन इस संदेश के साथ है कि आसमान उनकी हद है और पृथ्वी का विशाल क्षेत्र उनके लिए खेल का मैदान रहा।’ मोहिनी गिरि राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रह चुकी हैं।

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