अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली। इस बार अंतररराष्ट्रीय महिला दिवस पर जहां कई महिलाओं का सम्मान किया गया, वहीं देश-दुनिया में बदलाव की वाहक बनीं कुछ महिलाओं की पुस्तकें भी सामने आई। कई किताबों का विमोचन हुआ। इन किताबों में वह किताब भी शामिल हैं जिनमें समाज को प्रेरणा देने वाली महिलाओं की कहानियां हैं। खास तौर से ऐसी महिलाएं जिन्होंने धारा के विपरीत चल कर अपनी एक मंजिल हासिल की।
महिला दिवस पर जो किताबें आई उनमें किरण मनराल की पुस्तक ‘राइजिंग : 30 वूमन हू चेंज्ड इंडिया’ भी है। यह किताब उन महिलाओं पर है उन्होंने चुनौतियों और मुश्किलों का सामना किया। यह किताब बताती है उन सीमाओं को उन्होंने कैसे तोड़ा। पुस्तक में राजनीति से लेकर खेल, कला, सिनेमा और टीवी से लेकर कारोबार जगत, विज्ञान और विधि क्षेत्र की जानी-मानी महिलाओं की कहानियां है।
इस पुस्तक में जिन महिलाओं का जिक्र है, उनमें, महाश्वेता देवी, अमृता शेरगिल, अमृता प्रीतम, सोनल मानसिंह, लता मंगेशर, सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित, फातिमा बीवी अनिता देसाई, एमएस सुब्बुलक्ष्मी, माधुरी दीक्षित, बछेंद्री पाल, रेखा, पीटी ऊषा, पीवी सिंधु, किरण बेदी, मैरी कॉम, अपर्णा सेन, किरन मजूमदार शा, गायत्री देवी, कर्णम मल्लेश्वरी, हिमा दास और शकुंतला देवी शुमार हैं। यह किताब रूपा प्रकाशन ने छापी है।
रूपा से ही छप कर आई एक और किताब ‘हर स्टोरीज : इंडियन वूमन द एजेज-थिंकर्स. वर्कर्स रेबल्स, क्वींस’ में दीप्ति मल्होत्रा ने कुछ महिलाओं की साहसिक उपलब्धियों, विद्रोहियों-योद्धाओं के बारे में लिखा है, जिन्होंने मानव अस्तित्व की धारा बदल दी। इस पुस्तक में भूला दी गई गौरवशाली महिलाओं की कहानियां भी हैं। इन महिलाओं में दार्शनिक सुलभा, परोपकारी विशाखा, खगोलशास्त्री खोना, सुल्तान रजिया, मार्शल आर्टिस्ट उन्नियार्चा, कवि-संत जनाबाई, फकीरा जहांआरा, दलित विद्रोही नंगेली और कई अन्य शामिल हैं। ‘हर-स्टोरीज’ में नारीवादी चेतना का वर्णन किया गया है। (एजंसी इनपुट)
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